Urs E Khwaja Garib Nawaz, Khwaja Garib Nawaz ka Urs kab hai?, Khwaja Garib Nawaz Urs 2023 Date-

Urs E Khwaja Garib Nawaz 2023 date, Khwaja Garib Nawaz ka Urs kab hai?, Khwaja Garib Nawaz Urs 2023 Date-

Urs E Khwaja Garib Nawaz 2023 on 29th January 2023

Urs E Khwaja Garib Nawaz 2023 का आयोजन 06 रजब मुताबिक 29 जनवरी 2023 को किया जाएगा।

Khwaja Garib Nawaz Rahmatullah Alaih का Urs Mubarak रजबुल मुरज्जब की की 6वीं तारीख को होता है।

चूंकि Urs E Khwaja Garib Nawaz का आयोजन अरबी महिना के अनुसार आयोजित होता है, इसी लिए प्रत्येक वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर की तिथि में परिवर्तन होते रहता है।

अरबी तारीख चाँद के अनुसार प्रत्येक माह घटती या बढ़ती रहती है।

Khwaja Garib Nawaz ki History in Hindi pdf-

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु का नाम मुइनुद्दीन हसन है, आपके अलकाब हिंदलवली, अताए रसूल, गरीब नवाज़, ख्वाजा बुज़रुग, नाईब ए रसूल, वारिसुल अंबिया, सुलतानुल हिन्द है।

Manqabat Khwaja Garib Nawaz रहमतुल्लाह अलैह-

1-ख्वाजा ए हिन्द वह दरबार है आला तेरा

कभी महरूम नहीं मांगने वाला तेरा

2-खुफ़तगाने शबे गफलत को जगा देता है

सालहा साल वह रातों का न सोना तेरा

3-है तेरी जात अजब बहरे हकीकत प्यारे

किसी तैराक ने पाया न किनारा तेरा

4-गुलशने हिन्द है शादाब कलीजे ठंडे

वाह अबरे करम जोर बरसना तेरा

5-क्या महक है कि मुअत्तर है दिमागे आलम

तख्त ए गुलशने फ़िरदौस है रौजा तेरा  

Khwaja Garib Nawaz ki Paidaish-

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु की पैदाइश 530 हिजरी को शहर संजर एलाका सीसतान में हुई। आपका पेदरी (वालिद की जानिब से) नसब हजरत इमाम हुसैन रजियल्लाहु अनहु से मिलता है। और आपका मादरी नसब (माँ की जनिब से) हजरत इमाम हसन रजियल्लाहु अनहु से मिलता है। इस तरह ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु हसनी और हुसैनी सैयद हैं।

Khwaja Garib Nawaz रजियल्लाहु अनहु का पेदरी नसब नामा-

  1. सैयद मोइनूद्दीन हसन
  2. बिन सैयद ग्यासुद्दीन
  3. बिन सैयद कमालुद्दीन
  4. बिन सैयद अहमद हुसैन
  5. बिन सैयद नजमुद्दीन ताहिर
  6. बिन सैयद अब्दुल अज़ीज़
  7. बिन सैयद इब्राहीम
  8. बिन सैयद इमाम अली रज़ा         
  9. बिन सैयद मूसा काज़िम
  10. बिन सैयद इमाम जाफ़र सदिक
  11. बिन सैयद मोहम्मद बाकर
  12. बिन सैयद इमाम ज़ैनुल आबेदीन
  13. बिन सैयद इमाम हुसैन
  14. बिन सैयदुस्सादात अली मूर्तजा रजियल्लाहु अनहुम

Khwaja Garib Nawaz Ke Walid ka Naam –

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु के वालिद का नाम हजरत ख्वाजा ग्यासुद्दीन रजियल्लाहु अनहु

था। आप बहुत नेक और बड़े मुत्तकी व परहेज़गार थे। जब ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु

की उम्र 15 वर्ष की थी आपके वालिद का विसाल हो गया। आपके वालिद का मज़ार बगदाद शरीफ में है।

Khwaja Garib Nawaz Mother Name-

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु की वालिदा का नाम हजरत सैयदा माह नूर रजियल्लाहु अनहा था। आप बहुत ही नेक और पारसा, आबिदा, जाहिदा थीं।

आपकी वालिदा फरमाती हैं कि जब मेरे बेटे मुइनूद्दीन हसन मेरे पेट में थे। तो मैं बड़े अजीब व गरीब और अच्छे ख्वाब देखा करती थी। मेरे घर में खूब खैर व बरकत थी। दुश्मन मेरे दोस्त बन गए थे, आपकी पैसाइश के समय मेरा सर घर अनवारे इलाही से रोशन था। (anwarul Bayan)

Khwaja Garib Nawaz ka Bachpan-

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु के बचपन का दौर बड़ा ही खुशहाली और नेक नामी के साथ गुजरा और बचपन ही से विलायत के आसार जाहीर थे। माल व दौलत की कमी न थी बड़े नाज़ व नेमत के साथ पले और बढ़े थे।

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु सात वर्ष की उम्र तक खुरसान में परवरिश पाई। प्रारम्भिक शिक्षा आपने अपने वालिद साहब से हासिल की।

उसके बाद संजर की मशहूर मदरसा में दाखिल हुए और वहीं से आपने हदीस, तफ़सीर और फ़िक़ह की तालीम हासिल की।

जब आपकी उम्र 14 वर्ष की हुई तो आपके वालिद का विसाल हो गया।

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु को विरासत में एक एक हरा भरा बाग और पिन चक्की मिली थी। उसी को आपने अपना स्वरोजगार बनाया।

खुद ही बाग की निगहबानी करते और दरख्तों को पानी डेटेम इस तरह आपकी जंदगी बहुत ही सुकून व इतमेनान से गुजर रही थी।

हजरत इब्राहीम कंदोज़ी रजियल्लाहु अनहु का वाकिया-

एक बार ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु अपने बाग को पानी दे रहे थे कि अल्लाह के वली हजरत इब्राहीम कंदोज़ी रजियल्लाहु अनहु बाग में तशरीफ़ लाए।

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु बड़े अदब व इहतेराम के साथ उनकी खिदमत में हाजिर हुए और उनको के सायादार पेड़ के नीचे बैठाया, और ताज़ा अंगूर का  एक गुच्छा उनकी खिदमत में पेश किया और खुद दो जनों होकर उनकी खिदमत में बैठ गए।

हजरत इब्राहीम कंदोज़ी रजियल्लाहु अनहु ने अंगूर खाए और ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु

के अदब व इहतेराम व खिदमत से खुश होकर खली का एक टुकड़ा अपने मुंह मे डाला, दांतों से चिबाकर ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु के मुंह में डाल दिया।

इस खली को खाते ही ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु का बातिन नुरे मारेफ़त से रोशन हो गया। और दिल व रूह में अनवारे इलाही जगमगाने लगे।

इस हालत में आपने पिन चक्की और बाग बेच दिया और सारी दौलत गरीबों में बाँट दी। और बेखुदी के आलम में खुरासान की तरफ निकाल गए।

Khwaja Garib Nawaz Ke Peer ka Naam-

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु खुद अपने पीर व मुरशिद की मुलाकात का वाकिया बयान करते हैं कि मैं पीर व मुरशिद की तलाश में हजरत ख्वाजा जुनैद बगदादी रजियल्लाहु अनहु की मस्जिद में हाजिर हुआ।

और अपने पीर व मुरशिद हजरत ख्वाजा उस्मान हारूनी रजियल्लाहु अनहु के कदम को चूमा। उस वक्त बड़े-बड़े औलिया ए किराम आपकी बारगाह में हाजिर थे।

पीर व मुरशिद ने फरमाया दो रक`अत नमाज़ अदा करो। मैंने अदा कर ली

फिर पीर व मुरशिद ने फरमाया किबला की जानिब बैठ जाओ, मैं बैठ गया।

फिर पीर व मुरशिद का हुक्म हुआ।

सूरह बकर पढ़ो, मैंने पढ़ ली।

फिर हुक्म हुआ, 21 बार दुरूद शरीफ पढ़ो, मैंने पढ़ लिया।

फिर पीर व मुरशिद खड़े हो गए और कान पकड़ कर आसमान की जानिब मुंह किया और फरमाया आ तुझे खुदा तक पहुंचा दूँ। उसके बाद कैंची लेकर मेरे सर पर चलाई फिर कुलाह चहार तुर्की मेरे सर पर रखी और गलीम ए खास अता फरमाई।  

फिर पीर व मुरशिद ने फरमाया बैठ जाओ! मैं बैठ गया। और कहा आज तुम आज रात क दिन मुजाहदा में मशगूल रहो।

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु फरमाते हैं कि मैं मुजाहदा में मशगूल हो गया।

दुसरे दिन जब मुरशिद की बारगाह में हाजिर हुआ तो मुरशिद ने फरमाया कि आसमान की जानिब देखो जब मैंने देखा तो मुरशिद ने फरमाया  तुम कहाँ तक देखते हो?

मैंने कहा अर्श आजम तक देखता हूँ।

फिर मुरशिद ने कहा कि  जमीन की जानिब देखो। मैंने देखा तो मुरशिद ने पूछा कि अब कहाँ तक देखते हो?

मैंने कहाँ तहतूस्सरा तक देख रहा हूँ।

फिर मुरशिद ने फरमाया कि 1000 बार सूरह इखलास पढ़ो। मैंने पढ़ी ।

फिर मुरशिद ने फरमाया अब कहाँ तक देखते हो?

मैं कहा कि हिजाब अजमत तक।

फिर मुरशिद ने फरमाया आँखें बंद कर लो मैंने कर ली।

फिर फरमाए खोल दो मैंने आँखें खोल दी।

फिर मुरशिद ने दो अंगुलियाँ ऊपर उठाई और फरमाया कि मेरी इन दो अंगुलियों के बीच देखो और फरमाया क्या देखते हो?

मैंने अर्ज किया कि आपकी उंगलियों के बीच अठारह हजार आलम देख रहा हूँ।

फिर मुरशिद ने फरमाया कि सामने वली ईंट उठाओ मैंने उठाया तो उसके नीचे सोने के रुपये पड़े थे।

फिर फरमाया कि इन रुपयों को गरीबों में बाँट दो। मैंने ऐसा ही किया।

फिर मुरशिद ने फरमाया कि तू कुछ दिन हमारी खिदमत में रहो।

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु 20 वर्ष अपने पीर कि खिदमत में रहे।

ख्वाजा गरीब रजियल्लाहु अनहु फरमाते हैं कि जब मैं शरफ बै`अत हासिल कर चुका तो मैंने 20 वर्ष अपने  पीर व मुरशिद हजरत ख्वाजा उस्मान हारुनी रजियल्लाहु अनहु कि खिदमत में गुजारे। सफर हो कि कयाम हर जगह मुरशिद का साज व समान अपने सर पर उठाए रहता।

Khwaja Garib Nawaz ka Wisal-

ख्वाजा गरीब रजियुल अनहु का विसाल 6 रजब शरीफ 627 हिजरी स्थान अजमेर शरीफ भारत में हुआ।

Leave a Comment