Shab e Meraj 2021 in India, Shab e Meraj Date 2021, Shab e Meraj Status-Shab e Meraj Mubarak Images, Shab e Meraj Naats-
जंजीर भी हिलती रही बिस्तर भी रहा गरम
ता अर्श गए और आए मुहम्मद।
यह बिजली का कड़का था या सौते हादी
एक पल में सरे अर्श गए और आए मुहम्मद।
Shab e Meraj Date 2021-
شب معراج 2021
शबे मेराज 10 March 2021 बुधवार को है, चाँद के अनुसार तिथि में परिवर्तन हो सकता है। रजब का चाँद दिखन के बाद तिथि निर्धारित समझी जाएगी।
Shab e Meraj अर्बिक केलेंडर के अनुसार सातवें महिना में मनाया जाता है, यानि रजबुल मूराजज्ब (रजब) की 27वीं तारीख की रात को Shab e Meraj मनाते हैं। चूंकि Shab e Meraj चाँद के एतबार से मनाई जाती है इसी वजह से रजब का चाँद दिखने के बाद इसकी तिथि निर्धारित होती है।
अर्बिक महिना का शुमार भी चाँद के अनुसार ही होता है इसी लिए चाँद के 29 या 30 दिन में परिवर्तन के साथ-साथ अरबी महिना भी शुमार किया जाता है।
Shab e Meraj Meaning-
Shab e Meraj: शब का अर्थ “रात” है, मेराज का अर्थ “सीढ़ी” है, तो शबे मेराज का अर्थ “मेराज की रात” है।
वास्तव में मेराज वो रात है जिसमें हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रात के एक छण में मस्जिद ए हराम (मक्का की मस्जिद) से मस्जिद ए अक्सा तक गए। फिर मस्जिद ए अक्सा से आसमानों की सैर करते हुए सिदरतुल मुंतहा से ऊपर जहां तक रब त`आला ने चाहा तशरीफ़ ले गए।
और अर्श, कुर्सी, जन्नत वो दोज़ख आदि को अपनी आँखों से देखा।
और रब्बुलअर्श का दीदार फरमाकर अंगिनट नियमतों से सरफराज होकर वापस तशरीफ़ लाए।
Meraj Kya hai?
मेराज हुज़ूर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के मोजेज़ात में से एक बड़ा मोजेज़ा है। मेराज एक ऐसा मोजेज़ा
है कि अल्लाह त`आला ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के एलावा किसी अन्य नबी को नबी अता फरमाया (दिया)।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेराज के दौरान मस्जिद ए हराम से मस्जिद ए अक्सा तक और वहाँ से आसमानों और लामकां तक तशरीफ़ ले जाने को मेराज कहा जाता है।
लेकिन मुफ़ससीरीन की इस्तेलाह में मस्जिद ए हराम से मस्जिद ए अक्सा तक का सफर इसरा कहलाता है। और मस्जिद ए अक्सा से आसमानों की तरफ जाना (उरुज करना) मेराज कहलाता है।
मेराज के बारे में कुर`आन पाक के 15वें पारा में अल्लाह का फरमान है: “सुब्हानल लदी असरा बिअबदिही लैलम मीनल मस्जिदिल हरामि इलल मस्जिदिल अक्सा (अंत तक)—“
अर्थ-
पाक है वह ज़ात जो अपने बंदे को रातों रात ले गया, मस्जिद ए हराम से मस्जिद ए अक्सा तक, जिसके इर्द-गिर्द हमें बरकतें रखी हैं। ताकि हम उसको अपनी अज़ीम निशानियाँ दिखाएं। बेशक वह ज्यादा सुनने वाले और देखने वाला है।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जिस्म व रूह के साथ बेदारी की हालत में मेराज हुई। आपने सातों आसमानों की सैर की, अर्श, कुर्सी, जन्नत वो दोज़ख आदि को अपनी आँखों से देखा। और रब्बुलअर्श का दीदार फरमाया ।
Meraj किस स्थान से शुरू हुई?
हजरत इब्न हजर ने फरमाते हैं कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी चचा जाद बहन हजरत उम्मे हानी के घर आराम फरमा रहे थे, यानि यहीं से मेराज शुरू हुई।
Meraj किस रात हुई?
मेराज सोमवार की रात को हुई। सोमवार को ही आप पैदा हुए, और पीर को ही वसाल फरमाया और नबव्वत का एलान फरमाए। पीर के दिन ही मक्का से हिजरत फरमाई और पीर (सोमवार) को ही मदीना शरीफ में दाखिल हुए।
Meraj का महिना और तारीख-
शैख अब्दुलहक मुहददिस देहलवी फरमते हैं कि अरब में लोगों के दरमियान मशहूर है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मेराज 27 रजबुल मुरज्जब को हुई।
मेराज कहाँ से कहाँ तक हुई?
इसके बारे में अहले हक का अकीदा है कि मेराज में मस्जिद ए हराम से मस्जिद ए अक्सा तक और मस्जिद ए अक्सा से आसमानों के ऊपर जहां तक रब त`आला ने चाहा तशरीफ़ ले गए।
ओलोमाए किराम फरमाते हैं कि मस्जिद ए हराम से मस्जिद ए अक्सा तक की मेराज का सुबूत तो कु`आन ए मजीद में है जिसका इनकार नहीं किया जा सकता।
और मस्जिद ए अक्सा से आसमान ए दुनिया मेराज हदीस ए मशहूर से साबित है। इसका मुनकिर गुमराह है।
और पहले आसमान से बाला ए अर्श तक की मेराज का सुबूत खबर ए वाहिद से साबित है, इसका इनकार करने वाला फासिक है। (मदारिजुन नुबव्वह )
मोहककेकीन ओलोमा का कहना है कि मस्जिद ए हराम से मस्जिद ए अक्सा तक की मेराज का सुबूत भी कुर`आन ए मजीद में है।
Shab e Meraj ka Waqia in written
Shab e Meraj Namaz-
अल्लाह त`आला ने शबे मेराज हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को आपकी उम्मत के लिए जो तोहफा अता फरमाया वह नमाज़ है।
“मुझ पर और मेरी उम्मत पर पचास नमाजें फर्ज हुई फिर मैं वापस आया।“ (हदीस)
हजरत मूसा अलैहिससलाम से मुलाकात से हुई अपने कम कराने की पेशकश की बिल आखिर पाँच नमाजें फर्ज हुईं ।
Shab e Meraj की इबादत-
Shab e Meraj ki Namaz ka tarika, Shab e Meraj namaz Rakats-
- हजरत अनस रजियल्लाहु रिवायत करते हैं कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: कि रजब की 27 तारीख की रात में इबादत करने वालों को सौ वर्ष की इबादत का सवाब मिलता है।
जिसने उस रात 12 रक`अत नमाजें इस प्रकार पढ़ीं कि हर रक`अत में “सूरह फातिहा” पढ़कर कोई दूसरी सूरत पढ़ें और हर दो रक`अत पर अतहीयात (तशहहुद) और दुरूद शरीफ पढ़ कर सलाम फेर लें।
और 12 रक`अत पढ़ने के बाद 100 बार यह तसबीह पढ़ें- सुबहानल्लाहि वलहमदु लिल्लाहि वला इला-ह इल्लल् लाहु वल्लाहु अकबर’
फिर 100 बार पढ़ें- अस्तगफिरूल्लाह
और 100 बार दुरूद शरीफ पढ़ें-
तो दुनिया व आखिरात के त`अल्लुक से जो कुछ दुआ करे और सुबह रोज रखे तो यकीनन अल्लाह त`आला उसकी तमाम दुआओं को कबूल फरमाएगा, मगर यह कि किसी गुनाह की दुआ न करें। (इहयाउल उलूम)
Shab e Meraj Fazilat
- हजरत उमामह रजीयल्लाहु अनहु से रेवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है कि :
पाँच रातों में कोई दुआ रद्द नहीं होती।:
- रजब की पहली रात ii- शाबान की पंद्रहवीं रात iii- जुमा की रात iv-ईद की रात v- बकरीद की रात.
2-हजरत अनस रजीयल्लाहु अनहु से रेवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है :
जन्नत में एक नहर है जिसे रजब कहा जाता है जिसका पानी दूध से ज्यादा सफेद और शहद से ज्यादा मीठा है। जो शख्स रजब में एक दिन रोज रखेगा अल्लाह त`आला उसे उस नहर से सैराब फरमाएगा।
3 -हजरत आयेशा सिद्दीका रजीयल्लाहु अन्हा बयान फरमाती हैं कि: रजब वह अजमत वाला महिना है जिस में अल्लाह त`आला नेकियों का सवाब कई गुणा ज्यादा देता है।
जिस ने इस महिना में एक दिन का रोजा रखा तो गोया उस ने साल भर के रोज़े रखे, और जिसने इस महिना में 7 दिन रोज़े रखे तो उस पर दोज़ख के 7 दरवाजे बंद हो जाते हैं। और जिसने इस महिना में 8 रोज़े रखे उसके लिए जन्नत के 8 दरवाजे खोल दिए जाते हैं।
और इस माह में 10 दिन रोजा रखने वाला अल्लाह से जो मांगेगा वह उसे अता करेगा।
और जो इस माह में 15 रोज़े रखे तो आसमानी मुनादी आवाज देता है ऐ रोज़दार! तेरे तमाम पिछले गुनाह मू`आफ कर दिए गए अब नेक काम शुरू करदो। जो ज्यादा अच्छे अमल करेगा उसे ज्यादा सवाब मिलेगा।
Shab e Meraj ki Dua
Shab e Meraj तो माह रजब की तमन रातों से अफजल है तो इस रात में बदरजाए औला कोई दुआ रद्द नहीं होगी।
दुआ मांगने से पहले और बाद दुरूद सरीफ़ जरूर पढ़ें ताकि अल्लाह त`आला अपने प्यारे हबीब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तुफ़ैल दुआ को काबुल फरमाए-
Shab e Meraj Mubarak
मेराज शरीफ का जश्न मनाना, मोमिनों का हिस्सा है तो ईमान वाला रबज की 27वीं शब से मुहब्बत करता है इसी रात को हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कुर्ब रब त`आला में पहुँच कर दीदार का शरफ हासिल हुआ। और इसी रात को उम्मत के लिए नमाज़ का तोहफा मिल।
इसी रात अल्लाह त`आला ने उम्मत की बख्शीश कर वादा फरमाया। इसी लिए ईमान वाले इस रात जश्न मानते हैं लोगों को मुरकबाद देते हैं, महफिले मिलाद मनाते हैं।
Shab e Meraj History in Hindi–
Shab e Meraj Essay in Urdu-
हिजरत से पहले रजब की 27वीं रात को सोमवार की शाम में हमारे आका सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम अपनी चचा ज़ाद बहन हजरत उम्मे हानी रजियल्लाहो अन्हा के घर आराम फरमा रहे थे। अल्लाह त`आला ने हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम को इरशाद फरमाया कि 70 हजार फरिश्तों की बारात साथ में ले जाओ, और जन्नत को सजा दो।
दारोग़ा ए जहन्नम मालिक को हुक्म दो कि दोज़ख के दरवाजे बंद कर दे, और हुराने बहिश्त उम्दा और नफीस लिबास पहन लें।
सब फरिश्ते मेराज के दूल्हा की ताज़ीम के लिए खड़े हो जाएं, इसरफील सूर न फूँकें, इज़राइल आज की रात किसी रूह कब्ज न करें, तमाम कबरों से अजाब उठा लिया जाए।
हजरत ए आदम अलैहिस्सलाम से हजरत ईसा अलैहिस्सलाम तक तमाम अंबिया ए किराम मेराज के दूल्हा के इस्तकबाल के लिए तैयार हो जाएं।
हजरत जिब्रइल अलैहिस्सलाम 70 हजार फरिश्तों की जमात के साथ जन्नत में बुराक लाने के लिए तशरीफ लाए। देखा कि जन्नत में 40 हजार बुराक हैं हर बुराक की पेशानी पर मुहम्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम लिखा हुआ है।
एक बुराक को देखा जो रो रहा है सर नीचे डालें एक तरफ खड़ा है हजरत जिब्रइल अलैहिस्सलाम उसके पास गए और रोने की वजह पूछा।
बुराक ने कहा कि 40,000 साल हो गए हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मेराज का जिक्र सुना था कि सरकार सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मेराज का सफर फरमाएंगे।
काश ! मुझे उनकी सवारी के लिए चुन लिया जाता। इसी शौके मोहब्बत में रो रहा हूं कि सवारी मुझे बनाया जाए, उसकी मोहब्बत और इश्क को जब हजरत जिब्रइल अलैहिस्सलाम ने देखा तो सरकार की सवारी के लिए पसंद कर लिया।
हजरत जिब्रील अलैहिस्सलाम 70 हजार फरिश्तों की जमात के साथ बुराक को लेकर हज़रत उम्मे हानी के घर हाजिर हुए तो देखा कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम बिस्तर पर आराम फरमा रहे हैं।
हजरत जिब्रइल अलैहिस्सलाम सोचते हैं कि अल्लाह त`आला का हुक्म है – जल्दी करो अल्लाह त`आला अपने हबीब की मुलाकात का मुश्ताक है अब हजरत जिब्रइल हैरत में है अल्लाह त`आला का हुक्म है जल्दी बुला कर लाओ, और इधर हुज़ूर आराम फरमा रहे हैं आवाज देकर जगाया तो बेअदबी होगी। और जल्दी महबूब को लेकर न गया तो अल्लाह त`आला के हुक्म की खिलाफ वर्जी होगी। गौर व फिक्र में हैं क्या किया जाए?
अल्लाह त`आला का हुक्म होता है ऐ जिब्रईल! अपने काफुरी लबों से महबूब सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के नुरी तलवों को मस (चूमो)करो।
ठंडक पहुंचेंगी और प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम बेदार हो जाएंगे।
हजरत जिब्रईल ने अपनों कफुरी लबों से नूरी तलवों को चूमा, ठंडक पहुंची आप बेदार हो गए, और आने का मकसद पूछा।
अर्ज किया अल्लाह त`आला का हुक्म लेकर आया हूँ, अल्लाह त`आला आपकी मुलाकात का मुश्ताक है।
हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम चलने को तैयार हुए, आब ए ज़मज़म से ग़ुस्ल दिया जाता है। मेरे आका सल्लल्लाहो अलैहि सल्लम के नहाने से जो नूरानी पानी मेराज की रात गिरा था तो सितारों ने अपने अपने दामन के कटोरे में भर लिए थे।
जन्नती लिबास पहनाया गया, दूल्हा बनाया गया, सवारी के लिए जन्नती बुराक पेश किया गया।
मेराज के दूल्हा ने बुराक पर सवार होने का इरादा फरमाया तो बुराक वजद में आ गया और शोखी करने लगा, उछलने लगा नाफरमानी से नहीं बल्कि नाज व फख्र से कि आज उसका नसीबा चमक गया।
महबूब सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सवारी चली , जिब्रईल अमीन रिकाब थामे हुए हैं, मिकाईल लगाम पकड़ने की खिदमत अंजाम दे रहे हैं, 70 हजार फरिश्तों का हुजूम है, सलात व सलाम की धूम है।
थोड़ी देर में हुजूर स सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सवारी का गुजर उस जमीन पर हुआ जिसमें खजूर के पेड़ बहुत ज्यादा थे।
हजरत जिब्रईल ने अर्ज किया कि यह यसरब है यानी मदीना मुनव्वरह आपके सूरत की जगह है। यहां नमाज पढ़िए।
आप ने बुराक से उतर कर नमाज पढ़ी, फिल हजरत शोएब अलैहिस्सलाम का शहर मद्यन आया। फिर हजरत ईसा अलैहिस्सलाम की विलादत की जगह बैतुल्लहम आया फिर जबले तूर आया, हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मे उन सभी स्थानों पर नमाज पढ़ी।
मस्जिदे अक्सा तश्रीफ लाना-
फिर नबी करीम सल्लल्लाहोअलही वसल्लम मस्जिदे अक्सा तश्रीफ ले गए, मस्जिदे अक्सा में तमाम अंबियाए किराम हजरत आदम से लेकर हजरत ईसा तक आपके इस्तिकबाल के लिए मौजूद थे।
जुमला अंबियाए किराम ने आपको देखकर अल्लाह त`आला की हम्द व सना बयान की और आप की बारगाह में सलात व सलाम पेश किया और जुमला अंबियाए किराम ने नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के अफजल व अ`अला होने का इकरार किया।
फिर अजान दी गई और तकबीर कही गई अंबिया ए किराम ने सफेन दुरुस्त कीं। हजरतें जिब्रईल ने नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की खिदमत में अर्ज किया कि आप इमामत फरमाएं और नमाज पढ़ाएं।
नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इमामत फरमाई, शबे मेराज तमाम अंबियाए किराम मुक्तदी हैं, और हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इमाम हैं।
मस्जिदए अक्सा से आसमानों का रुख-
अब हमारे आका सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मस्जिदए अक्सा से आसमानों की जानिब रवाना हुए।
फिर आसमानों की जानिब बढ़े और जब असमाने दुनिया पर पहुंचे तो दरवाजा खटखटाया आवाज आई कौन?
जिब्रइल अलैहिस्सलाम ने कहा मैं जिब्रइल हूँ, फिर कहा गया आपके साथ कौन हैं?
जिब्रइल अलैहिस्सलाम ने कहा मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम।
फिर कहा गया क्या उनको बुलाया गया है?
जिब्रइल अलैहिस्सलाम ने कहा हाँ! उनको बुलाया गया है।
आवाज आई मरहबा! आनए वाला कितना अच्छा है।
हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सवारी जब पहले आसमान पर पहुंची, तो हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई तो
हजरत आदम अलैहिस्सलाम ने आपको देखकर सलाम किया और कहा, ऐ सालेह नबी! नेक फ़रज़ंद, मरहबा-मरहबा, यानि आपका आना मुबारक हो। फिर हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हजरत ए आदम अलैहिस्सलाम की बारगाह में सलाम पेश किया।
उसके बाद जब दूसरे आसमान पर तश्रीफ ले गए और हजरत यहया और हज़रत ईसा अलैहिमस्सलाम से मुलाकात हुई, फिर तीसरे आसमान पर हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई, चौथे आसमान पर हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई, पाँचवें आसमान पर हजरत हारून अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई और छटे आसमान पर हजरत मूसा अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई। सातवें आसमान पर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई, हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सलाम पेश किया।
हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने सलाम का जवाब दिया और इरशाद फरमाया ऐ सालेह नबी और सालेह बेटे! आपका तश्रीफ लाना मुबारक हो।
हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि मैंने सिदरा को देखा जो एक बेरी का पेड़ है उसके पत्ते हाथी के कान की तरह चौड़े और उसके फल मटकों की तरह थे।
सिद्रतुल मुंतहा के पास बैतूल म`अमूर है हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम बैतूल म`अमूर के पास तश्रीफ ले गए। वहाँ 70 हजार फरिश्तों ने इस्तकबाल किया और मुबारकबाद पेश की।
बैतूल म`अमूर में आपने फरिश्तों को नमाज पढ़ाई।
सिद्रतुल मुंतहा यही वह जगह है जहां जिब्रील अलैहिस्सलाम भी रुक गए और अर्ज करने लगे कि हुज़ूर अब मैं यहां से आ गए ना चल सकूंगा आपका साथ ना दे सकूंगा, अगर मैं से आगे बढ़ूँगा तो तजल्लियात रब्बानी से मेरे पर जल जाएंगे।
ARSH AZAM
हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम अर्श पर जलवा गर हुए। सिदरा से अर्श तक 70 हजार परदे हैं और हर परदे के दरमियान 500 वर्ष का फासिला है।
अर्श के ऊपर न कोई मकान है न सामान। सब अर्श के नीचे हैं अर्श के ऊपर लामकाँ है।
जिब्रइल अलैहिस्सलाम और बुराक का रुक जाना-
जिब्रइल अलैहिस्सलाम और बुराक दोनों सिदरा पर रुक गए तो आपकी खिदमत में रफरफ पेश किया गया। जो सब्ज़ रंग का तह और उसका नूर सूरज की रोशनों पर गालिब था आप रफरफ पर सवार होकर अर्श आजम पर जलवा फर्मा हुए।
रफरफ पर सवार होकर अर्श के आगे तशरीफ़ ले गए।
हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम रफरफ पर सवार थे सफ़र जारी था, आगे बढ़ते रहे, बहुत से नूरानी हेजाबात व मकामात तैय करने के बाद रफरफ भी रुखसत हो गया। अब हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम अकेले जाने वाले थे।
हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम लामकाँ में 70 हिजाब नूर के तैय किए। उस वक्त आपको कुछ घबराहट महुसूस हुई तो हजरत अबू बकर सिद्दीक की आवाज में यह निदा सुनाई दी।
“क़िफ़ या मुहम्मदु इन-न रब्ब-क युसल्ली” ऐ मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ठहरिए! आपका रब आप पर सलाम भेजता है।
फिर अल्लाह त`आला की जानिब से निदा आई- ऐ सारी मखलुक से अफजल व अ`अला करीब आ, ऐ अहमद करीब आ, ऐ मुहम्मद करीब आ।
अल्लाह त`आला की ऐन ज़ात अपने सर की आंखों से दीदार फरमाया। अपने रब से बिलावास्ता कलाम किया।
हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम जब दीदार की नेमत व कलाम से सरफराज हुए तो अल्लाह त`आला की बारगाह में महबूब ए अकबर व बंदा ए खास की हैसियत से तोहफा पेश किया।
अत्ताहियातु लिल्लाहि त`आला वस्स-ल-वातु वत्तयईबातु” तमाम बदनी जुबानी व माली इबादतें अल्लाह त`आला के लिए हैं, तो आलह त`आला ने फरमाया “ अस्स-लामु अलै-क ऐयुहन्नबी वरहमतुल्लाहे व ब-र-क-तुहु “ ऐ प्यारे नबी आप पर सलाम व रहमत व बरकत नजिल हो।
इस मौके पर हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम अपनी उम्मत को याद फरमाते हैं और रब्बे कायनात की बारगाह में अर्ज करते हैं, अस्स-लामु अलैना व अ`अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन” यानि ऐ अल्लाह तेरा सलाम हम पर हो और तेरे नेक बंदों पर हो।
जंजीर हिलती रही बिस्तर भी रहा गरम
एक पल में सरे अर्श गए और आए मुहम्मद।