शबे कद्र की फजीलत

शबे कद्र क्या है ?

शबे कद्र की फजीलत |

शबे कद्र में इबादत की फजीलत-

नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो शख्स शबे कद्र में ही माइमान व इखलास के साथ इबादत करें तो उसके पिछले गुनाह बख्श दिए जाएंगे.

इस हदीस ए पाक की वजाहत में मुफ्ती अहमद यार खान फरमाते हैं की रमजान में रोजा के बरकत से सगीरा गुनाह बख्श दिए जाते हैं और तरावीह की बरकत से कबीरा गुनाह माफ कर दिए जाते हैं शबे कद्र की बरकत से दर्जे बढ़ जाते हैं.

शबे कद्र को कुरआन मजीद में 1000 महीनों से बेहतर करार दिया जाता है. इस हिसाब से इस रात की इबादत 83 साल और 4 महीने बनती है.

नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि बनी इसराईल में एक सख्श था जिस ने एक हजार महीने तक अल्लाह के रस्ते जिहाद किया, सहाबा को रश्क आया तो अल्लाह ने उसके इसके बदले यह रात अता फरमाई .

शबे कद्र कब आती है?

अल्लाह तबारक व तआला ने अपनी मशियत के तहत शबे कद्र को पोशीदा रखा है इसलिए यकीन के साथ नहीं कह सकते कि शबे कद्र कौन सी रात होती है?

नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमान है शबे कद्र को रमजान के आखिरी 10 दिन की बेजोड़ (ताक) रातों में ढूंढो.

लेकिन अक्सर लोगों की राय यही है कि हर साल माहे रमजान की 27 वी रात ही शबे कद्र है.

जैसा की हजरतें उबय बिन कअब के नजदीक रमजान की 27वी रात ही शबे कद्र है.

शबे कद्र के नवाफिल

फकीह अबुल लैस रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं की शबे कद्र की कम से कम 2, ज्यादा से ज्यादा हजार और दरमियानी तादाद 100 रकअतें हैं जिनमें केरअत की दरमियानी मिकदार यह है कि हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद एक मर्तबा सूरह कद्र फिर तीन तीन बार सूरह इखलास पढ़े और हर 2 रकअत पर नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर दुरूद ए पाक पढ़ें.

शबे कद्र की दुआ

शबे कद्र में ज्यादा से ज्यादा इस दुआ को पढ़ें-

اَللّٰہُمَّ اِنَّکَ عَفُوٌّ کَرِیمٌ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّیْ

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